Pariksha Pe Charcha 2024 by PM Modi ji Dwara
परीक्षा की घंटी बजने वाली है, मगर घबराओ मत, ज़ोर से गाओ “परीक्षा पे चर्चा 2024”!
हर साल ज़िंदगी के एक खास मोड़ पर हम सब वही सवाल सुनते हैं – “परीक्षा की तैयारी कैसी चल रही है?” और हर बार दिल में वही घंटी बजती है, तनाव की घंटी. मगर इस साल ज़रा रुकिए, उस घंटी के साथ “परीक्षा पे चर्चा 2024” का नया स्वर गूंजने दीजिए, वो स्वर जो हौसला दे, रास्ता दिखाए, और परीक्षा को जंग नहीं, उत्सव बनाए.
Pariksha Pe Charcha : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का ये अनूठा संवाद सत्र, परीक्षा के मैदान की धूल को आशा के रंग से भर देता है. ये सिर्फ ज्ञान नहीं बांटता, बल्कि तनाव दूर कर, मन को एकाग्र करने का हुनर सिखाता है. 2024 का “परीक्षा पे चर्चा” ज़रूर कुछ खास होने वाला है, क्योंकि ये 7वां पायदान है भारत के युवाओं को तराशने की इस अनोखी यात्रा का.
तो आइए, इस साल के “परीक्षा पे चर्चा” को ज़रा करीब से देखें
पहला चरण: प्रेरणा की आग जलाना
Pariksha Pe Charcha :इस बार भी सम्माननीय प्रधानमंत्री जी छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से सीधा संवाद करेंगे. उनके शब्द ज्ञान के दीपक जलाएंगे, आत्मविश्वास की अग्नि प्रज्वलित करेंगे. वो हमें याद दिलाएंगे कि किताबों का बोझ न उठाएँ, बल्कि ज्ञान का पंख लगाएँ. ये चर्चा सिर्फ परीक्षा को पास करने की रणनीति नहीं देगी, बल्कि जीवन के हर लक्ष्य को पाने का हौसला जगाएगी.
दूसरा चरण: अनुभवों का आदान-प्रदान
“परीक्षा पे चर्चा” सिर्फ पीएम जी का एकतरफा संबोधन नहीं है. ये अनुभवों का खूबसूरत आदान-प्रदान है. हर साल देश के कोने-कोने से छात्र अपनी कहानियाँ, अपने संघर्ष और सफलता के नुस्खे साझा करते हैं. ये कहानियाँ सुनकर पता चलता है कि रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं, मगर मंजिल एक ही है. हम एक दूसरे की प्रेरणा बनते हैं, साथ मिलकर तनाव को हराते हैं, और परीक्षाओं के पहाड़ को छोटा कर लेते हैं.
तीसरा चरण: तनाव नाशक मंत्र
परीक्षा का तनाव ज़रूरी है, मगर उसे हम हथियार नहीं बनने दे सकते. “परीक्षा पे चर्चा” हमें तनाव दूर करने के अचूक मंत्र सिखाता है. योग, ध्यान, समय प्रबंधन, सकारात्मक सोच जैसे हथियारों से युद्ध करना सीखते हैं. ये तनाव नाशक मंत्र ही हमें अपनी क्षमता को पूरी तरह से उजागर करने का रास्ता दिखाते हैं.
चौथा चरण: परीक्षा को उत्सव बनाना
“परीक्षा पे चर्चा” परीक्षा को बोझ से मुक्त कर, उसे उत्सव बनाने की कला सीखाता है. वो ज्ञान के खेल में तल्लीन होने, अपनी जिज्ञासाओं को जगाने और सीखने की प्रक्रिया को आनंदमय बनाने का रास्ता दिखाता है. इसी उत्साह के साथ जब हम परीक्षा देते हैं, तो वो बोझ नहीं लगती, बल्कि अपनी क्षमता साबित करने का ज़रिया बन जाती है.