12Th Fail Movie : विक्रांत मैसी की फिल्म 12वीं फेल ने आईएमडीबी पर सबसे ज्यादा रेटिंग वाली भारतीय फिल्म बनकर इतिहास रच दिया है। इस फिल्म में विक्रांत ने आईपीएस अधिकारी मनोज कुमार शर्मा की भूमिका निभाई है, जो एक गरीब परिवार से आते हैं और कड़ी मेहनत और लगन से आईपीएस अधिकारी बनते हैं।
12Th Fail Movie : की सफलता पर रोहित शेट्टी ने भी प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने कहा कि यह फिल्म विशेष रूप से छात्रों और युवाओं के लिए एक प्रेरणादायक कहानी है। उन्होंने कहा कि यह फिल्म दिखाती है कि अगर आपके पास कुछ करने का जुनून है तो आप किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं।
विक्रांत मैसी ने भी 12Th Fail Movie की सफलता पर प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने कहा कि12Th Fail Movie ने उन्हें बहुत प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि फिल्म के कुछ दृश्यों को फिल्माने के बाद उन्हें रोना आ गया था। उन्होंने कहा कि कुछ भूमिकाएं अभिनेता पर व्यक्तिगत रूप से बहुत प्रभाव डालती हैं।
12वीं फेल की सफलता से भारतीय सिनेमा में एक नई उम्मीद जगी है।
यह फिल्म दिखाती है कि यदि हम अपने दर्शकों के लिए अच्छी कहानियां बनाएंगे तो वे निश्चित रूप से सफल होंगी
“12वीं फेल” एक प्रेरक कहानी है जो दिखाती है कि कड़ी मेहनत और लगन से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।
“यह फिल्म विशेष रूप से उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं।”
आपको जवाब देने के लिए, मेरे पास इस व्यक्ति के बारे में ज़रूरी जानकारी नहीं है। मैं लार्ज लैंग्वेज मॉडल हूँ। मैं आपकी बातों का जवाब, इंसानों की तरह ही लिखकर दे सकता हूँ। हालाँकि, मुझे इस व्यक्ति के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है। क्या आपको इसके अलावा किसी और चीज़ में मेरी मदद चाहिए?
“रोहित शेट्टी की प्रतिक्रिया से पता चलता है कि वह एक सच्चे कलाकार हैं। वह अच्छी कहानियों को पहचानते हैं और उन्हें बड़े पर्दे पर लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
मुझे उम्मीद है कि यह मददगार था!
12वीं फेल: सच्चे हीरो की अनकही कहानी, जो आपको झकझोर देगी
सफलता की दास्तानों में अक्सर वही नाम गूंजते हैं, जिनके गौरवशाली रास्ते किताबों में लिखे जाते हैं. मगर जीवन की असल कहानियां उन अनसुने नायकों के पसीने, हार और जीत में छिपी हैं, जो समाज की परछाईं में अपनी किस्मत खुद गढ़ते हैं. ऐसी ही एक कहानी है, मनोज कुमार शर्मा की, जिसे एक फिल्म ने बड़े पर्दे पर उजागर किया है, 12वीं फेल.
मनोज की जिंदगी किसी परी कथा का टूटा हुआ पन्ना नहीं थी. गरीबी का दंश, शिक्षा का आभाव और समाज की नजरों का तिरस्कार, ये ही उनके बचपन के साथी थे. 12वीं में फेल होना तो मानो आखिरी नाकामी बनकर उनकी उम्मीदें बुझाने को आतुर था. लेकिन मनोज वो शख्स नहीं थे, जो आखिरी सांस तक हार मानते. हर असफलता ने उन्हें एक सीढ़ी बनाकर आगे बढ़ाया.
स्कूल की असफलता के बाद, कॉलेज की शिक्षा उन्होंने कठिन परिश्रम से पूरी की. आईपीएस बनने का जुनून उनके दिल में धधकता था. तीसरे ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास कर, उन्होंने गरीबी और असफलता को जीत लिया. उनकी कहानी सिर्फ नौकरी हासिल करने की नहीं, बल्कि जिंदगी को दोबारा जीने की थी.
फिल्म 12वीं फेल उनके इसी संघर्ष और विजय को शानदार ढंग से पेश करती है. विक्रांत मैसी ने मनोज के किरदार को इतनी शिद्दत से जिया है कि उनकी आंखों में दर्द, जुनून और अंतत: जीत, दर्शकों को झकझोर देती है. फिल्म आपको याद दिलाती है कि जिंदगी की परीक्षाओं में कभी-कभी फेल होना ही हमें असली फाइटर बनाता है.
मनोज की कहानी सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि अनगिनत ऐसे युवाओं की है, जो हर रोज़ हार और गरीबी से लड़ते हुए अपने सपनों का पीछा कर रहे हैं. यह फिल्म उन्हें आशा देती है, उनके हौसले बुलंद करती है और कहती है, “असफलताएं सिर्फ ठोकर हैं, मंजिल तक पहुंचने का रास्ता नहीं.”
12वीं फेल सिनेमाघर से निकलने के बाद भी आपके साथ रहती है. यह हार का डर मिटाकर जीत का जुनून जगाती है. यह गरीबी की काली रात में सफलता के सूरज का उदय दिखाती है. फिल्म देखकर आप ये सवाल जरूर पूछेंगे: क्या मेरी असफलताएं, मेरी जिंदगी का अंत हैं? या वे नए कदम उठाने का हौसला देंगी?
तो अगर आप अपनी जिंदगी की धुंधली तस्वीर को साफ करना चाहते हैं, अगर आप हार की दहलीज पर खड़े हैं और हार मानने वाले नहीं हैं, तो 12वीं फेल जरूर देखें. यह फिल्म आपको सिर्फ मनोरंजन नहीं देगी, बल्कि हार जीत की नई परिभाषा सिखाएगी और असफलता के अंधेरे में, उम्मीद का एक दिया जलाएगी.
मनोज की कहानी सिर्फ उनके सपने पूरे करने तक ही सीमित नहीं रहती. ये उनकी पत्नी, श्रद्धा जोशी की कहानी भी है, जो एक आईआरएस अधिकारी हैं. उनकी प्रेरणा और समर्थन ने मनोज के जुनून को हवा दी. दोनों के रिश्ते में संघर्ष भी आते हैं, पर उनका दृढ़ विश्वास उन्हें हर मुश्किल पार कर देता है. फिल्म का एक बड़ा हिस्सा इसी खूबसूरत बंधन को मनाता है और दर्शकों को याद दिलाता है कि हार और जीत के रास्ते पर हम अकेले नहीं चलते.
12वीं फेल सिर्फ शहरी सपनों की कहानी नहीं है. ये भारत के उन अनगिनत गांवों की कहानी भी है, जहां बच्चों के सपने गरीबी की दीवारों से टकराते हैं. फिल्म आपको ऐसे संघर्षों से रूबरू कराती है, जो हमारे समाज की कठिन सच्चाई हैं. ये बताती है कि शिक्षा तक पहुंच का अभाव, असमाजिक व्यवस्था और परिवारिक दबाव, कैसे कई मनोजों के सपनों को कुचल देते हैं.
लेकिन फिल्म निराशा में नहीं डूबती. वो मनोज की कहानी के जरिए उम्मीद का संदेश देती है. ये कहती है कि हर बच्चे में एक मनोज छिपा होता है, जिसे बस सही मौके और थोड़े से हौसले की जरूरत होती है. फिल्म देश को ये सोचने के लिए प्रेरित करती है कि कैसे हम ऐसे माहौल बना सकते हैं, जहां कोई भी सपना सिर्फ असफलता के डर से दम न ले ले.
12वीं फेल से आप न सिर्फ मनोरंजन पाएंगे, बल्कि समाज के प्रति आपकी सोच भी बदल जाएगी. आप अपने आसपास के मनोजों को पहचानने लगेंगे और उनके सपनों को जगाने की कोशिश करेंगे. ये फिल्म आपको खुद से ये सवाल पूछने के लिए मजबूर करती है: क्या मैं समाज की जड़ता का हिस्सा बनना चाहता हूं या सकारात्मक बदलाव का एक योद्धा बनूंगा?
तो ज़रूर देखें 12वीं फेल. ये बस एक फिल्म नहीं, ये एक जागृति, एक क्रांति का बीज है, जो आपके दिल में उम्मीद का पौधा लगाएगी और आपको हार की रातों में भी सफलता के सवेरे का सपना देखने की ताकत देगी.